नालासोपारा ( आर आर सिह )नालासोपारा पूर्व क्षेत्र में एक अजीबो गरीब किस्सा सामने आया है।एक छुटक व्यापारी जो की कपडे सिलाई में काम आने वाली छोटी छोटी चीज वस्तु बेच अपना परिवार चलाता है। बतादे की खालिक शेख नालासोपारा में रहता है और क्षेत्र के कई कपड़े सिलाई करने वाले टेलर मास्टरों को सिलाई में लगने वाले छोटे छोटे सामान बेचता है। नोट बंदी के बाद ज्यादातर टेलर मास्टर खालिक शेख को बकाया राशि के तौर पर 10 रूपये के सिक्के दिया करते है। हर दिन जामा 10 रूपये के सिक्के धीरे धीरे 19 हजार रूपये तक होगये। जमा सिक्कों को अपने क्षेत्रिय बैंक में डिपोजिट करने गया तो बैंक कर्मचारी ने 10 के सिक्कों को जमा करने को इनकार कर दिया। अपने ढाई महीनों की जमा पूंजी बैंक वाले डिपॉजिट करने से इनकार कर रहे है और टेलर वाले वापस लेने को मना कर रहे है।
बैंक कर्मचारियों को खालिक पर शंका होने पर पूछताछ की तो बताया कि में सिक्के बेचने का काम नही करता हु और जमा सिक्के दुकानदारों ने अपने बाकये राशि के तौर पर दिए है जिसे में अपने पास जमा कर एक साथ इकठा कर बैंक में जमा करने गया लेकिन बैंक ने इनकार किया। सिक्कों की गिनती करने पर लगभग 300 सिक्के निकली पाये गये है। अब यह छोटा व्यापारी अपने 19 हजार रूपये के सिक्के और साथ तीनसौ नकली सिक्के लेकर बैंक की ठोकरों खाने पर मजबूर है। वही अपने जमा पूंजी को एक थैले में भरकर पिछलै सात दिनों से बैंक दर बैंक की ठोकर खा रहा है।
बैंक कर्मचारियों को खालिक पर शंका होने पर पूछताछ की तो बताया कि में सिक्के बेचने का काम नही करता हु और जमा सिक्के दुकानदारों ने अपने बाकये राशि के तौर पर दिए है जिसे में अपने पास जमा कर एक साथ इकठा कर बैंक में जमा करने गया लेकिन बैंक ने इनकार किया। सिक्कों की गिनती करने पर लगभग 300 सिक्के निकली पाये गये है। अब यह छोटा व्यापारी अपने 19 हजार रूपये के सिक्के और साथ तीनसौ नकली सिक्के लेकर बैंक की ठोकरों खाने पर मजबूर है। वही अपने जमा पूंजी को एक थैले में भरकर पिछलै सात दिनों से बैंक दर बैंक की ठोकर खा रहा है।
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