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भिवंडी( एम हुसेन ) यह देश हमारा है, हम इस देश में हमेशा से रहते आए है हमारे यहाँ बहुमत और अल्पमत में कोई अंतर नहीं है.हमारी भाषाएँ एक है, हमारी संस्कृति एक है.हमारी आबादी एक है। हमारा पहनावा एक है .हमारी सूरतें एक है, हमारा रंग और रूप एक है.तो क्या धर्म इस बात का आधार बन सकता है .के इसका यह धर्म है तो यह एक नंबर का नागरिक है और जो यह धर्म का नहीं है वह देश में दो नंबर का नागरिक है।जमीअते उलमा भिवंडी द्वारा परशुराम टावरे स्टेडियम में '' राष्ट्रीय एकता व संविधान बचाव सम्मेलन 'का भव्य आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता भिवंडी शहर जमीअते उलमा के अध्यक्ष मुफ्ती लईक अहमद कासमी ने की.जिस में लगभग एक लाख लोग उपस्थित थे जिन्हें संबोधित करते हुए जमीअते उलमा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हजरत मौलाना सैयद अरशद मदनी साहब ने कहा कि जमीअते उलमा ने इसका विरोध किया लेकिन सांप्रदायिकता का यह भूत बराबर चढ़ता रहा और सांप्रदायिकता की गर्दन को तोड़ा नहीं गया। उसकी कमर को झुका या भी नहीं गया .जमीअते उलेमा कांग्रेस को बार बार कहती रही कि सांप्रदायिकता पर लगाम लगाई जाए मगर यह काम संभव नहीं हुआ। वह पूर्व प्रधानमंत्री स्व इंदिरा गांधी का शासनकाल रहा हो या राजीव गांधी का मगर उस पर ध्यान नहीं दिया गया। मौलाना ने यह भी कहा कि उससे पीड़ित केवल अल्पसंख्यक नहीं बने, कांग्रेस ने अगर सांप्रदायिकता के खिलाफ नीति बनाई होती तो आज देश सांप्रदायिकता से मुक्त रहता .और सेकुलरिज्म शक्तिशाली रहता .मौलाना ने कहा कि आज धर्मनिरपेक्षता हेकमज़ोर है .अपने आप को बचाने धर्मनिरपेक्ष चरित्र को मुश्किल हो रहा है। सरकार पर प्रहार करते हुए कहा कि अगर ऐसा न होता और जिस तरह से सरकार केंद्र में तो आई लेकिन उनकी राज्यों में ठोकर पर ठोकर लगती रही अगर ऐसा न होता और राज्यसभा व लोकसभा में उनकी सरकार स्थापित हो जाती तो देश का धर्मनिरपेक्ष संविधान बिगड़ जाता , आग लग जाती .और देश का संविधान धर्मनिरपेक्ष नहीं रह जाता.मोलाना ने कहा जमीअते उलमा यह कहती है के यह नफरत, दुश्मनी, एक दूसरे का विरोध क्यों, एक बार देश के टुकड़े हो चुके है तथा एक बार पुनः साम्प्रदायिक शक्तियां आई तो देश के पुन टुकड़े हो सकते है। और हम इस देश को एक देखना चाहते है इसे बिखरा हुआ देख नहीं सकते, देश शक्तिशाली तभी रहेगा जब अल्पसंख्यक और बहुमत एकजुट रहेंगे। बहुमत अल्पसंख्यक के पीछे और अल्पसंख्यक बहुमत के पीछे इसी तरह लगी रही तो देश में आग लग जाएगी और देश में किसी भी चीज सुरक्षित नहीं रह जाएगी। मौलाना ने बल देते हुए कहा कि जमीअते उलमा में सरकार से डरने वाले लोग नहीं है। यह एक गैर राजनीतिक पार्टी है इसे संसद, विधानसभा, राजनीति और चुनाव से कुछ लेना देना नहीं.हम तो जो बात कह रहे है वह गैर राजनीतिक कह रहे है और गैर राजनीतिक रूप से हम अपने अंदर एक शक्ति रखते है।जनता का विश्वास है वरना आज यहां जमीअते उलमा के इस कार्यक्रम में यह लाखों लोगों की भीड़ नजर नहीं आती .यह जमीअते उलमा की निष्ठावान कार्यप्रणाली है.और जमीअत समझती है कि एकत्रित रहो और देश के धर्मनिरपेक्ष संविधान की रक्षा करो यही बात हम सरकार से भी करते है .और जो लोग नकरत को फैला रहे है उनको समाज से बाहर निकालो, लेकिन सरकार से यह नहीं हो रहा है .आज़ादी के बाद से आज तक देश में घर वापसी का कोई कार्यक्रम नहीं बना था लेकिन आज यह कार्यक्रम वर्तमान सरकार की नीतियों पर प्रकाश डाल रही है। जिसका लक्ष्य यह है कि देश के गली-कूचे तक हिन्दू मुस्लिम का खून पानी की तरह बहे ऐसा कैसे हो सकता है कि जिसको चाहो उसे हिंदू बना लिया जाए। इसके खिलाफ देश भर में नारे लग रहे है मीडिया चिल्ला रहा है मगर देश की सत्ता के मुंह में बतासह रखे हुए चुप है। इसका मतलब यही हो सकता है कि हमारे दिल में है और तुम्हारी जबान है और चाहते हम भी यही है कि देश के टुकड़े हों और यह भी हो सकता है देश की कमान आरएसएस के हाथ में हो और अगर जबान खुली तो वहीं हाल तुम्हारा होगा जो गांधी जी का हुआ था .देश तो ऐसे नहीं चलेगा .जमीअते उलमा यह सब देख रही है .देश की बहुमत सांप्रदायिक नहीं है बल्कि वह धर्मनिरपेक्ष पसंद है। इस अवसर पर जमाअते इस्लामी के मोहम्मद असलम गाजी, भिवंडी अहले सुन्नत व जमाअत के प्रतिनिधि मौलाना अहमद रज़ा अशरफी, हिंदू धर्म के गुरु बाबा सत्य नाम दास, जमीअते अहले हदीस के प्रदेश अध्यक्ष मौलाना अब्दुस्सलाम सल्फी, जमीअते उलमा के प्रदेश अध्यक्ष मौलाना मुस्तकीम अहसन आजमी भिवंडी अध्यक्ष मुफ्ती लईक अहमद कासमी .



सैयद हसन असजद मदनी, लीगल सेल के महाराष्ट्र सचिव अल्हाज गुलजार अहमद आज़मी, महासचिव महाराष्ट्र मौलाना हलीमुल्लाह कासमी आदि ने संबोधित किया। गुलजार अहमद आजमी ने बताया कि जमीअते उलमा बिना भेदभाव सभी धर्म व जाति के अधिकारों की लड़ाई लड़ती है और संविधान की रक्षा के लिए हर संभव प्रयास करती है.कार्यक्रम का संचालन मुफ्ती हफीजुल्लाह कासमी ने की। कार्यक्रम के आयोजक वसीम तुफ़ैल अहमद सिद्दीकी, अकबर अरशद सिद्दीकी और मौलाना मुहम्मद कासिम, जफर बिल्डर थे। मौलाना सैयद अरशद मदनी साहब की प्रार्थना पर कार्यक्रम का समापन हुआ।

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