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प्रतापगढ-:: उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद लापता हैं तो प्रख्यात कवि हरिवंश राय ‘बच्चन’ कहीं खो गए हैं। ज्ञान-विज्ञान के लिए रखी जाने वालीं पुस्तकें भी नदारद हैं। जनपद में खुले 13 विस्तार पटल सार्वजनिक पुस्तकालयों की ऐसी ही दशा है। ग्राम प्रधानों की मांग पर शासन ने 13 पुस्तकालय खुलवाए। एक सहायक की तैनाती की की गई। साथ ही प्रभारी को बगैर किसी मानदेय के देखरेख के लिए रखा गया। ऐसे में प्रभारी सेंटर पर कभी नहीं जाते हैं और सहायक ताला बंद करके गायब रहते हैं। पुस्तकालयों में किताबों के नाम पर कुछ भी नहीं है। वहीं अखबार सहित कई बिल फर्जी तरीके से लगाकर सहायक रकम पास करवा कर डकार जा रहे हैं।
शासन ने एक वर्ष पहले ग्राम प्रधानों की मांग पर ग्रामीणांचल के लोगों को जागरूक करने और उनके बीच ज्ञान की अलख जगाने के लिए जनपद में 13 विस्तार पटल सार्वजनिक पुस्तकालय खुलवाए। इनके खुलने का समय सुबह दस बजे और बंद होने का समय शाम पांच बजे रखा गया है। देखरेख के लिए संविदा पर एक सहायक की तैनाती भी की गई है। जिले के अधिकारियों ने एक प्रभारी पुस्तकालय को अपनी ओर से रखा हुआ है। प्रभारी को कुछ भी नहीं दिया जाता है। मगर सहायक को प्रतिमाह शासन की ओर से मानदेय भी मिलता है। विभागीय अधिकारियों की मानी जाए तो शासन की ओर से इन पुस्तकालयों पर करीब 6 सौ किताबें भी रखी गई हैं। जिसमें जनरल नालेज, साहित्य और कहानियों से संबंधित किताबें शामिल हैं। साथ ही प्रतिदिन दो अखबार मंगवाए जाते हैं। इसके बाद भी जिन गांवों में पुस्तकालय खुले हैं, वहां के लोगों को तक अभी तक इसकी जानकारी नहीं हुई है। अफीम कोठी से सगरा मार्ग पर स्थित खाद गोदाम में पुस्तकालय संचालित हो रहा है।
मगर, शनिवार को वह दिनभर बंद रहा। न तो सहायक दिखा और न ही पुस्तकालय प्रभारी। एक कक्ष में कबाड़ रखा हुआ था तो दूसरे के गेट के सामने पुस्तक की जगह खाद न होने की बात लिखी थी। वहीं मानधाता ब्लाक के सहेरुआ गांव के नाम से पुस्तकालय संचालित हो रहा है। 110 लोगों ने सदस्यता भी ली, लेकिन इन दिनों बोर्ड वहां से हटा दिया गया है। पुस्तकालय में ताला लटक रहा है। लोग अपनी सदस्यता वापस लेने के चक्कर में पड़ गए हैं। गौरा ब्लाक के सुजहा गांव में लिखापढ़ी में विस्तार पटल सार्वजनिक पुस्तकालय संचालित हो रहा है। मगर यहां की प्रधान प्रियंका विंद ने इस बारे में बात करने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि उन्होंने शासन से पुस्तकालय के लिए मांग की थी, मगर अभी तक खुला नहीं हैं।

इन गांवों में खोले गए पुस्तकालय
सदर ब्लाक के टेऊंगा के नाम से सगरा और अफीम कोठी मार्ग पर, उड़ैयाडीह बाजार, प्रेमधर पट्टी, शिवगढ़ ब्लाक के दहेर कला, पट्टी के तरदहा, लक्ष्मणपुर ब्लाक के देवली व रेडी, बिहार ब्लाक के बेघना गोपालपुर, सड़वाचंद्रिका के वासूपुर, मानधाता ब्लाक के सहेरुआ, बाबागंज ब्लाक के पूरेझाऊ, रामपुर संग्रामगढ़ के ढिंगवस और गौरा ब्लाक के सुजहा गांव में पुस्कालय खोले गए हैं।
सहायक के घर की शान बनी आलमारी
शासन की ओर से ग्रामीण जनता को जागरूक करने के लिए विस्तार पटल सार्वजनिक पुस्तकालय के लिए आईं किताबें, आलमारी-कुर्सी सहायक के घर की शान बनी हुई हैं। प्रभारी को शासन की ओर से कुछ दिया नहीं जाता है। इसके बावजूद आश्वास देकर उन्हें कतपुतली बनाकर बैठा दिया गया है। मानदेय न मिलने के कारण वे भी पुस्तकालय को देखने के लिए नहीं जाते हैं। कभी बिल पास करवाना होता है तो सहायक उनके पास खुद आता है तो वे अपनी रिपोर्ट लगा देते हैं। ऐसे में अखबार के साथ कई प्रकार के बिल का भुगतान सहायक फर्जी तरीके से करवा लेते हैं।
जांच की जाती है। किसी कारणवश हो सकता है कि पुस्तकालय न खुले हाें। इसकी जांच कराई जाएगी। बंद रहने वाले पुस्तकालय के सहायक के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। जांच करने की जिम्मेदारी एसडीएम को भी होती है। उनसे मिलकर इस बारे में बात की जाएगी।
श्याममूर्ति शुक्ला, राजकीय पुस्तकालय,

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