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रामपाल का परिवार आया सडक पर

मुंबई। मुंबई मनपा के एस विभाग के अधिकारी और अधिकारियों के दलालों को पैसे लेते हुए एंटी करप्शन ब्यूरो द्वारा पकड़े जाने का गुस्सा मनपा के अधिकारियों ने रामदुलार पाल का घर तोड़कर निकाला। अपना घर बनाकर मिले और अधिकारियों के दलालों के सभी अवैध निर्माणकार्यों पर कार्रवाई की जाए,इन मांगों को लेकर पाल पिछले डेढ़-दो वर्षों से मनपा के चक्कर लगा रहे थे। जिसके बाद आयुक्त अजोय मेहता ने इस मामले में कार्रवाई का आदेश दिया। परंतु आयुक्त के आदेश को स्थानीय अधिकारियों द्वारा कोई महत्व नहीँ दिया जा रहा है। जिससे कारण पाल को मजबूरी में दोबारा मनपा मुख्यालय के सामने आंदोलन शुरू करना पड़ा। 9 जनवरी से लगातार आंदोलन करने वाले पाल की समस्या की तरफ मनपा आयुक्त ध्यान नहीं दे रहे हैं।
बता दें कि रामदुलार पाल भांडुप के तुलशेतपाडा इलाके में रहते हैं। यहां की जगह 16 सितंबर 1976 वर्ष को महाराष्ट्र सरकार ने गलिच्छ बस्ती घोषित किया है। रामदुलार पाल जिस जगह पर रहते हैं उनके पास उस जगह का 1994 के पहले के कागजात हैं। इस बस्ती में रहने वाले अन्य रहवासियों ने स्थानीय गुंडों और मनपा अधिकारियों की मिलीभगत से 30 फुट का घर बनाया है। पाल ने अपना घर बिना मनपा अधिकारी और स्थानीय गुंडों के मदद के 19 फुट बनाया। इस बात की शिकायत मनपा से की गई जिसके बाद मनपा ने पाल का निर्माण कार्य तोड़ने की नोटिस भेजी। इस नोटिस को रद्द करने करने के लिए 25 हजार रुपये की रिश्वत मांगी गई। रिश्वत की मांग का विरोध करते हुए पाल ने एंटी करप्शन ब्यूरों में इसकी शिकायत कर दी। इसके बाद 10 हजार रुपये का पहला हफ्ता लेते हुए जूनियर इंजीनियर योगेश पंडित व शिकायत दलाल रामसुरत यादव को 25 जुलाई को गिरफ्तार कर लिया गया। इंजीनियर को गिरफ्तार करने के बाद अन्य अधिकारियों ने पाल को सबक सिखाने के लिए ऐन बरसात के माह अगस्त में 2015 घर तोड़ दिया।
इस बारे में पाल एक वर्ष से मनपा के एस विभाग कार्यालय, उपायुक्त, और मनपा आयुक्त के कार्यालय के चक्कर काट रहें है। पिछ्ले दिनों पाल ने मुंबई के आजाद मैदान में इसके विरोध ने भूख हड़ताल किया था। पाल ने मानवाधिकार आयोग और लोकशाही दिन के अवसर पर आयुक्त से मुलाकात कर की, जिसके बाद आयुक्त ने पाल को घर बनाने की अनुमति बनाकर देने तथा मनपा अधिकारियों के दलाल रामसुरत यादव के सभी अवैध निर्माणों को तोड़ने का आदेश दिया। आयुक्त के आदेश को 14 माह तथा मानवाधिकार आयोग के द्वारा कार्रवाई का आदेश दिए जाने के बाद भी अभी तक पाल को न्याय नहीं मिल रहा है। अगर मनपा प्रशासन ने समय रहते कार्रवाई नहीं की तो आगे कुछ गलत भी हो सकता है। और इसके लिए मनपा प्रशासन जिम्मेदार होगी।

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