प्रतापगढ-::: गुरु गोविन्द सिंह जी का सिख समुदाय के विकास में बहुत बड़ा हाथ है। सिख धर्म के संस्थापक तो थे पर सिख धर्म के आगे ले जाने में उनका बहुत बड़ा हाथ था जैसे उन्होंने सैन्य लोकाचार को शुरू किया जिसमें कुछ पुरुष सिखों को हर समय तलवारों को साथ रखने को कहा गया। सिख समुदाय में वे आखरी सिख गुरु थे और उन्हें इसी कारण परम गुरु, गुरु ग्रन्थ साहिब के नाम से जाना जाता है।
सिख समुदाय के दसवें धर्म-गुरु (सतगुरु) गोविंद सिंह जी का जन्म पौष शुदि सप्तमी संवत 1723 (22 दिसंबर, 1666) को पटना शहर में गुरु तेग बहादुर और माता गुजरी के घर हुआ। सिख समुदाय के बीच गुरु गोविंद सिंह के जन्म उत्सव को ‘गुरु गोविंद जयंती’ या ‘गुरु पर्व’ के रूप में मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर गुरुद्वारों में भव्य कार्यक्रम सहित गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ किया जाता है। सामूहिक भोज (लंगर) का आयोजन किया जाता है। 5 जनवरी को है। गुरु की जयंती को प्रकाश पर्व के रूप में मनाया जाता है।
*✍खालसा पंथ की स्थापना की थी*
हिंदी कलेंडर के हिसाब से गुरु गोविंद सिंह की जयंती इस साल 5 जनवरी को मनाई जा रही है। पटना साहिब (जन्म स्थल), आनंदपुर साहिब (गुरुद्वारा केशगढ़) आदि स्थानों पर गुरु गोविंद सिंह जयंती बेहद धूमधाम से मनाई जाती है। गुरु गोविंद सिंह जी का यह 350 वां प्रकाश पर्व है। इसके तहत गुरुद्वारों में विशेष साज-सज्जा की जाती है। इस दिन सुबह से ही गुरुद्वारों में धार्मिक अनुष्ठानों का सिलसिला शुरू होकर देर रात तक चलता है। इसके तहत गुरुवाणी का पाठ, शबद कीर्तन किया जाता है। खालसा पंथ के लिए यह दिन विशेष महत्व रखता है। गुरु गोविंद सिंह जी को सिख धर्म का सबसे वीर योद्धा और गुरु माना जाता है। गुरुजी ने निर्बलों को अमृतपान करवा कर शस्त्रधारी कर उनमें वीर रस भरा। उन्होंने ही खालसा पंथ में ‘सिंह’ उपनाम लगाने की शुरुआत की।
सिख समुदाय के दसवें धर्म-गुरु (सतगुरु) गोविंद सिंह जी का जन्म पौष शुदि सप्तमी संवत 1723 (22 दिसंबर, 1666) को पटना शहर में गुरु तेग बहादुर और माता गुजरी के घर हुआ। सिख समुदाय के बीच गुरु गोविंद सिंह के जन्म उत्सव को ‘गुरु गोविंद जयंती’ या ‘गुरु पर्व’ के रूप में मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर गुरुद्वारों में भव्य कार्यक्रम सहित गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ किया जाता है। सामूहिक भोज (लंगर) का आयोजन किया जाता है। 5 जनवरी को है। गुरु की जयंती को प्रकाश पर्व के रूप में मनाया जाता है।
*✍खालसा पंथ की स्थापना की थी*
हिंदी कलेंडर के हिसाब से गुरु गोविंद सिंह की जयंती इस साल 5 जनवरी को मनाई जा रही है। पटना साहिब (जन्म स्थल), आनंदपुर साहिब (गुरुद्वारा केशगढ़) आदि स्थानों पर गुरु गोविंद सिंह जयंती बेहद धूमधाम से मनाई जाती है। गुरु गोविंद सिंह जी का यह 350 वां प्रकाश पर्व है। इसके तहत गुरुद्वारों में विशेष साज-सज्जा की जाती है। इस दिन सुबह से ही गुरुद्वारों में धार्मिक अनुष्ठानों का सिलसिला शुरू होकर देर रात तक चलता है। इसके तहत गुरुवाणी का पाठ, शबद कीर्तन किया जाता है। खालसा पंथ के लिए यह दिन विशेष महत्व रखता है। गुरु गोविंद सिंह जी को सिख धर्म का सबसे वीर योद्धा और गुरु माना जाता है। गुरुजी ने निर्बलों को अमृतपान करवा कर शस्त्रधारी कर उनमें वीर रस भरा। उन्होंने ही खालसा पंथ में ‘सिंह’ उपनाम लगाने की शुरुआत की।
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