भिवंडी ( एम हुसेन ) उर्दू भाषा के विकास में मुशायरों के महत्व से इनकार नहीं किया जासकता ,मुशायरे हमारी सभ्यता और संस्कृति की पहचान होते हैं। उर्दू भाषा को बढ़ावा देने में मुशायरे कल भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे और आज भी यह सिलसिला बदस्तूर जारी है। अलहम्द एजूकेशन सोसायटी भिवंडी उर्दू साहित्य को बढ़ावा देने के उद्देश्य के तहत अपनी गतिविधियां जारी रखे हुए है। जो गाहे गाहे विभिन्न कार्यक्रम का आयोजन करके अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रयासरत है। इसी सिलसिले में 21 जनवरी 2017 की रात नौ बजे अलहम्द हाई स्कूल एंड जूनियर कॉलेज भिवंडी,में विभिन्न उर्दू स्कूलों के शिक्षकों द्वारा तमसीली मुशायरे का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता उर्दू ग़ज़ल के प्रख्यात कवि मजरूह सुल्तानपूरी ने की। तमसीली मुशायरे में जिन प्रख्यात शायरों की तमसील प्रस्तुत की गई उनमें प्रोफेसर वसीम बरेलवी, सागर ख़य्यामी,हसन काज़मी, ताहिर फ़राज़,जौहर कानपूरी,रफीक शादानी,खालिद जाहिद,अल्ताफ जिया,फारूक दिलकश,दिल खैराबादी और मशहूर नाजिमे मुशायरा अनवर जलालपूरी की तमसील उन्हीं के वेष भूसा, शैली और आवाज़ में प्रस्तुत की गयी।सभी तमसीली शायरों ने अपनी प्रस्तुती को वास्तविकता के करीब कर दिया था। जिसकी उपस्थित दर्शकों ने भरपूर सराहना की। मुशायरे के कन्वीनर अब्दुल अजीज अंसारी ने अपने स्वागत भाषण में सभी तमसीली शायरों और उपस्थित अतिथियों, प्रिंसिपल ज़ियाउर्रहमान अंसारी,मुहम्मद रफी अंसारी,नोमान खान,परवेज सरदार,अब्दुल हसीब जामई,दय्यान शेख़,नदीम अहमद आज़मी ,मोहम्मद अहमद,अब्दुल लतीफ खान आदि का स्वागत किया।अलहम्द एजुकेशन सोसायटी के महासचिव और मुशायरे के संरक्षक रियाजुद्दीन खान ने अतिथियों और कवियों की सेवा में पुष्पगुच्छ पेश किया। इस अवसर पर सोसायटी के पदाधिकारियों व सदस्यों के अतिरिक्त भारी संख्या में गणमान्य व्यक्ति और श्रोता उपस्थित थे। मुशायरे को सफल बनाने में मुशायरा समिति के सदस्यों डॉ नियाज़ अहमद आजमी, मौलाना अहमद अली खान, डॉ मतीउल्ला खान, मौलाना शहरोज़ ,शमीम अहमद अंसारी,अबुल कलाम शेख,के अतिरिक्त मोमिन सरजील, नूर आलम अंसारी, रिजवान अंसारी, अख़लाक़ अहमद और सभी टीचिंग और नॉनटीचिंग स्टाफ का भरपूर सहयोग शामिल रहा, आभार प्रदर्शन के साथ कार्यक्रम संपन्न हुआ।
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