प्रतापगढ(प्रमोद श्रीवास्तव) बेल्हा मे वर्ष 2017के स्वागत में रविवार की सुबह से लेकर शाम तक पूरा बेल्हा जश्न में डूबा रहा। रविवार की छुट्टी होने के कारण लोग काम भूलकर पूरी तरह मस्ती में डूबे रहे। पार्कों में बच्चों और महिलाओं की जबरदस्त भीड़ रही। युवतियां पार्क में सुबह से ही जमी रहीं। बेल्हा देवी धाम में सुबह से ही भक्त मत्था टेकने पहुंच गए। नए साल की शुभकामनाएं लोग यार-दोस्तों के साथ शुभचिंतकों को देते रहे। यह सिलसिला देर रात तक चलता रहा।
शनिवार की रात बारह बजने के बाद नए साल के प्रथम दिन जश्न का माहौल जवां होता रहा। गत वर्ष 2016 के रंजोगम को बिसार कर लोग पूरी तरह मस्ती और मौज के मूड में रहे। शहीद उद्यान पार्क लोगों से गुलजार रहा। वहां सुबह से ही बच्चों संग महिलाएं खिलखिलाती रहीं। परिजनों संग पहुंची युवतियां भी दिल खोल कर पार्क में खेलती कूदतीं नजर आईं। पार्क का हर कोना खुशियों में डूबा रहा। इस माहौल को बादलों ने और खुशनुमा बना दिया था। बादल की वजह से बढ़ी ठंड की परवाह किए बगैर लोग पार्क खुशियों का क्षण व्यतीत करने में मशगूल रहे। पूरा जिला खुशियों के समंदर में देर शाम तक गोता लगाता रहा। हर शख्स में इस वर्ष कुछ कर गुजरने का जज्बा साफ रहा। बेल्हा देवी धाम में सुबह से ही भक्त पहुंचने लगे। शाम तक मंदिर पहुंचकर मन्नतों व बेहतर जिंदगी के लिए लोग प्रार्थना करते रहे। बाबागंज स्थित होटल में लायंस क्लब की ओर से आयोजित कार्यक्रम में लो देर शाम तक नाचते गाते रहे। चिलबिला, बाबागंज, सिविल लाइन, दहिलामऊ समेत अन्य स्थानों पर नव वर्ष की पूर्व संध्या पर भी जश्न का धमाल रहा।
जिला प्रशासन ने रात दस बजे के बाद नाच गाने के लिए अनुमति नहीं दी थी। चेताया था कि सड़क या चौराहों पर नए साल का जशभन यदि कोई मनाता है तो वह घटना होने पर खुद ही जिम्मेदार होगा। प्रशासन की सख्ती का असर यह रहा कि बहुत कम लोग ही सड़क पर आधी रात को जश्न मनाते नजर आए। जैसे बारह बजा, वैसे ही लोग आतिशबाजी कर हैप्पी न्यू ईयर बोलकर नए साल की बधाई देने लगे।
शनिवार की रात बारह बजने के बाद नए साल के प्रथम दिन जश्न का माहौल जवां होता रहा। गत वर्ष 2016 के रंजोगम को बिसार कर लोग पूरी तरह मस्ती और मौज के मूड में रहे। शहीद उद्यान पार्क लोगों से गुलजार रहा। वहां सुबह से ही बच्चों संग महिलाएं खिलखिलाती रहीं। परिजनों संग पहुंची युवतियां भी दिल खोल कर पार्क में खेलती कूदतीं नजर आईं। पार्क का हर कोना खुशियों में डूबा रहा। इस माहौल को बादलों ने और खुशनुमा बना दिया था। बादल की वजह से बढ़ी ठंड की परवाह किए बगैर लोग पार्क खुशियों का क्षण व्यतीत करने में मशगूल रहे। पूरा जिला खुशियों के समंदर में देर शाम तक गोता लगाता रहा। हर शख्स में इस वर्ष कुछ कर गुजरने का जज्बा साफ रहा। बेल्हा देवी धाम में सुबह से ही भक्त पहुंचने लगे। शाम तक मंदिर पहुंचकर मन्नतों व बेहतर जिंदगी के लिए लोग प्रार्थना करते रहे। बाबागंज स्थित होटल में लायंस क्लब की ओर से आयोजित कार्यक्रम में लो देर शाम तक नाचते गाते रहे। चिलबिला, बाबागंज, सिविल लाइन, दहिलामऊ समेत अन्य स्थानों पर नव वर्ष की पूर्व संध्या पर भी जश्न का धमाल रहा।
जिला प्रशासन ने रात दस बजे के बाद नाच गाने के लिए अनुमति नहीं दी थी। चेताया था कि सड़क या चौराहों पर नए साल का जशभन यदि कोई मनाता है तो वह घटना होने पर खुद ही जिम्मेदार होगा। प्रशासन की सख्ती का असर यह रहा कि बहुत कम लोग ही सड़क पर आधी रात को जश्न मनाते नजर आए। जैसे बारह बजा, वैसे ही लोग आतिशबाजी कर हैप्पी न्यू ईयर बोलकर नए साल की बधाई देने लगे।
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