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प्रतापगढ(प्रमोद श्रीवास्तव) जहा सूबे में समाजवादी पार्टी हो रही उथल पुथल थमने का नाम नहीं ले रहा है वही सपा से उपेक्षित बाहुबली राजाभैया थाम सकते है भाजपा का हाथ यूपी चुनावों की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है और सपा पार्टी चुनावी रणनीति तैयार करने की जगह परिवार के झगड़ों में उलझी हुई है और इसी बीच एक और चौंकाने वाली खबर सामने आई है जिससे उसे चुनावों में नुकसान उठाना पड़ सकता है
*✍कई विधायक भी भाजपा में शामिल हो सकते हैं
खबर है कि निर्दलीय विधायक रघुराज प्रताप सिंह 'राजा भैया' भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का दामन थाम सकते हैं, सूत्रों के मुताबिक केवल राजा भैया ही नहीं समाजवादी पार्टी के कई विधायक भी भाजपा में शामिल हो सकते हैं, ये विधायक भाजपा यूपी प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य के संपर्क में लगातार बने हुए हैं। अमित शाह को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अनुमति मिलते ही जल्द से जल्द इन विधायकों को भाजपा में शामिल किया जा सकता हैं।
*✍राजा भैया को राजनाथ सिंह के भी काफी करीब देखा गया*

पिछले दिनों राजा भैया को भाजपा के दिग्गज नेता राजनाथ सिंह के भी काफी करीब देखा गया था, वैसे भी दोनों के रिश्ते हमेशा से काफी क्लोज रहे हैं। हालांकि दोनों राजनीति में एक-दूसरे से सरोकार नहीं रखते हैं लेकिन सवर्ण और ठाकुरों की बातों पर एक हो जाते हैं।
*✍राजा भैया को सीएम अखिलेश यादव से कुछ खास तवज्जो नहीं मिलती*
इससे पहले भी इस तरह की खबरें आई थी लेकिन तब सपा ने कहा था कि ये सब अफवाह है, कहा जा रहा है कि सपा से उपेक्षित राजा भैया को सीएम अखिलेश यादव से कुछ खास तवज्जो नहीं मिलती है जिसके कारण वो भाजपा में जाने का मन बना चुके हैं।
*✍साइकिल से उतर कर भगवा वस्त्र पहन सकते हैं राजा भैया*
ऐसे में सपा में खलबली मचना लाजिमी है, सूत्रों से मिली जानकारी कहती है कि हाल ही में सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव और सीएम अखिलेश यादव राजा भैया से मिलने उनके सरकारी आवास गये थे, जो इस बात का सबूत है कि पार्टी में रघुराज प्रताप सिंह को लेकर गहमा-गहमी मची हुई है।
*✍राजा भैया के चलते बीजेपी खेलेगी पूर्वांचल में क्षत्रिय कार्ड*
राजा भैया की पूर्वांचल में काफी पूछ है, उन्हें ठाकुरों का समर्थन मिला हुआ है, खबर है कि जियाउल हक केस के बाद सपा में उपेक्षित राजा भैया बीजेपी में जा सकते हैं और पूर्वांचल में माफिया से नेता बने बृजेश सिंह के साथ मिलकर क्षत्रिय वोटों को भाजपा के पक्ष में कर सकते हैं। उन पर भरोसा राजनाथ सिंह को है और राजनाथ सिंह जो कह दें उसे तो ना पीएम मोदी मना कर सकते हैं और ना ही पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह।
*✍साठ-गांठ की पॉलीटिक्स*
फिलहाल क्या सच है और क्या झूठ, यह तो आने वाला वक्त बतायेगा लेकिन इसमें कोई शक नहीं कि इस समय यूपी में सियासी पारा काफी बढ़ चुका है और सभी पार्टियां साठ-गांठ की पॉलीटिक्स में जुटी हुई हैं।

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