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कुल 17 राज्य तथा 6 केंद्रीय मंत्रालयो की भी झाँकीया

महाराष्ट्र की झाँकी में कुल 30 कलाकार सहभागी

नवी दिल्ली, 22 जनवरी : महाराष्ट्र राज्य की ओर इस वर्ष ‘लोकमान्य तिलक’ के जीवनचरित्र पर आधारीत झाँकी गणतंत्र दिन के अवसर पर राजपथपर आयोजित परेड मे शामील होने के लिए तैयार है. झाँकी मे सहभागी होनेवाले कलाकार जमकर तैयारी कर रहे है. महाराष्ट्र राज्य के साथ कुल 17 अन्य राज्यों की झाँकींया तथा 6 केंद्रीय मंत्रालयों की झाँकीया इस बार राजपथ के परेड मे नजर आयेंगी, यह जानकारी रक्षा मंत्रालय की ओर से आयोजित पत्रकार परिषद मे रक्षा विभाग के जनसंपर्क अधिकारी धनंजय मोहंती ने आज दी.

गणतंत्र दिन पर राजपथपर होनेवाले परेड मे सहभागी विविध राज्य तथा मंत्रालयों की झाँकीयों की जानकारी देने हेतु यहा के कॅन्टॉनमेंट की रंगशाला शिवीर मे रक्षा मंत्रालयकी ओर से पत्रकार परिषद का आयोजन कीया गया था. हर वर्ष राजपथपर आयोजित गणतंत्र दिन के शुभ अवसरपर राष्ट्रपती, पंतप्रधान तथा विदेशी मेहमान के उपस्थिती में भारतीय विविध रक्षा दलों की ओर से परेड का पदर्शन कीया जाता है. साथ ही यहाँ भारत के सैन्यदलों का शक्ती प्रदर्शन होता है. विविध क्षेत्र कीं सफलताओं को झाँकीयों के रूप मे दर्शाया जाता है. इसके साथ सभी दर्शकों को लुभानेवाली अनेक राज्यों की झाँकीया दर्शायी जाती है. इसमें राज्यों की सांस्कृतीक, ऐतिहासीक परपंरा लोककला की प्रस्तुती की जाती है.

इसी कड़ी में महाराष्ट्र की विशाल संस्कृती, ऐतिहासीक धरोहर, लोककला दिखाने का मौका कई बार राज्य को मिला है. इस वर्ष महाराष्ट्र की ओर से प्रखर देशभक्त‘लोकमान्य तिलक’ के जीवनचरित्रपर आधारीत झाँकी प्रस्तुत कि जा रही है.

महाराष्ट्र राज्य के सांस्कृतिक कार्य निदेशालयकी ओर से प्रस्तुत झाँकी भारत के प्रभावशाली व्यक्तित्ववाले महान स्वतंत्र सैनानी लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक का उनके 160 वीं जयंती पर स्मरण कर रही है. महाराष्ट्र राज्य के रत्नागिरी में 23 जुलाई 1856 को जन्मे लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने एक गणितज्ञ, संवाददाता, संपादक, लेखक और वक्ता के रूप में उत्कृष्टता पाई. अपने समाचार पत्र ‘मराठा’ तथा ‘केसरी’ साथ गणेशोत्सव व शिवजयंती पर्वों के माध्यम से समाज को जागृत करने में उन्होंने अपना जीवन समर्पित कर दिया. उनका नारा ‘स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूँगा’ ने जनता में राष्ट्रवाद की भावना को प्रज्ज्वलित किया. यही झाँकी मे दिखाने की कोशीश कि गई है.

झाँकी के अग्रभाग में लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की विशाल प्रतिमाव्दारा उनका चित्रण किया गया है. जिसमें वे अपने समाचार पत्र के लेखन में मग्न है. मध्य भाग उनके एक कुशल वक्ता के व्यक्तित्व, उनके समाचार पत्रों केसरी व मराठा के प्रकाशन तथा राज्य के प्रसिद्ध गणेशोत्सव को मनाते दर्शाया गया है. पृष्ठ भाग में उनसे प्रभावित लोगों को शिक्षा अध्ययन व शारीरिक व्यायामों मे संलग्न दिखाया गया है. इसी भाग में एक मिनियेचर जेल में लोकमान्य तिलक जी को अंग्रेजों की कैद में दिखाया गया है. साथही झाँकी के दोनों ओर पारपांरीक लोकनृत्य सादर करते कलाकार नजर आयेंगे.

इस झाँकी का संकल्पना चित्र साथही त्रिमिती प्रतिकृती प्रसिद्ध कला निर्देशक चंद्रशेखर मोरे ने तयार किया है. उन्ही के मार्गदर्शन मे कूल 40 कारागीरोने यह अतीव सुंदर झाँकी तयार की है.

महाराष्ट्र राज्ये के सांस्कृतिक कार्य निदेशालय की ओर से प्रस्तुत झाँकीयों को वर्ष 1980 मे ‘शिवराज्याभिषेक’ 1983 मे ‘बैल पोला’ इस झाँकीयों को प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ है. इसके साथ 1993 से 1995 तक सतत तीनों वर्ष प्रथम पुरस्कार मिला है. 2015 को भी प्रस्तुत ‘पंढरपूर की वारी’ इस झाँकी कों प्रथम पुरस्कार मिला है, यह सराहणीय है.

रंगशाला में महाराष्ट्र के लोकनृत्य की प्रस्तुती

रंगशाला में आयोजित पत्रकार परिषद के बाद कुछ राज्यों ने उनके राज्यों की सांस्कृतिक प्रस्तृती की. महाराष्ट्र की ओर से राज्य की ‘पंढरपूर’ की यात्रा कों गाने मे पीरोकर प्रस्तुत कीया गया. पंढरपूर की यात्रा में वारकरी (श्रध्दालु) शामील होते है. यात्रा दरमीयान प्रस्तुत की जाने वाले ‘रिंगण’ की यहा प्रस्तूती की गई.

प्रधानमंत्री कौशल्य विकास योजना के तहत महाराष्ट्र के 4 कारागिरी सम्मानित

प्रधानमंत्री कौशल्य विकास योजना के तहत झाँकीयों को तयार करने वाले कारागीरों को भी यहा प्रमाणपत्र देकर सम्मानित किया गया. इनमें महाराष्ट्र के 4 कारागिर शामील थे. भागूराम भोजने, कमलेश, अशोक शांताराम, सुर्यकांत इन कारागिरों को कर्नल आनंद के हाथों प्रमाणपत्र देकर सम्मानित किया गया.

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