मुंबई : मराठा आरक्षण छोडो, पर संघ को पूछे बैगर सरकार कुछ भी नहीं कर सकती है, यह टिप्पणी विधान परिषदे के विरोधी पक्षनेता धनंजय मुंडे ने की है। संघ आरक्षण के खिलाफ होने से ही भाजप मागासवर्गीय समाज को आरक्षण नहीं दे सकते है, यह आरोप भी उन्होंने किया है। विधान परिषदे में गुरुवार को आरक्षण के प्रश्न पर चर्चा हुई। राज्य के मराठा, धनगर , मुस्लिम, लिंगायत समाज को आरक्षण देने के मांग के लिए
राष्ट्रवादी और काँग्रेस ने प्रस्ताव रखा। इस वक्त चर्चा के दौरान मुंडेंनी राज्य सरकार पर हल्लाबोल किया। मराठा समाजा ने राज्य, देश और विदेश में आदर्श उदाहरण के मोर्चे निकाले। अब इस समाज को चर्चा नहीं, आरक्षण पर ठोस निर्णय चाहिए यह मुंडे ने कहा। मराठा आरक्षण के मुद्दे पर सरकारने समय पर प्रतिज्ञापत्र दाखल किया होता तो आज प्रस्ताव पेश करने सरकार को उतावलापण करने की आवश्यकता नहीं थी, यह मुंडे ने कहा। भाषण के दौरान मुंडेंनी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का तीन बार उल्लेख करकर
भाजप सरकार का तंज कसा। मराठा आरक्षण के प्रश्न पर सरकार से ज्यादा न्यायालयीन लढाई विनोद पाटील ने की। तो सरकारने मराठा समाज का मोर्चा दबाने की कोशीश की यह आरोप भी उन्होंने किया।शिवसेना को भी मुंडे ने सुनाया है। शिवसेना ने मराठा आरक्षण मोर्चा का अवमान किया है और उन्हें मराठा आरक्षण पर बोलने का अधिकार नहीं यह उन्होंने शिवसेना को सुनाया। हमे राजकारण नहीं करना है, और यह सत्ताधारी ना करे, आरक्षण के बारे में सरकार प्रामाणिक भुमिका स्पष्ट करे, यह मांग उन्होंने की।
राष्ट्रवादी और काँग्रेस ने प्रस्ताव रखा। इस वक्त चर्चा के दौरान मुंडेंनी राज्य सरकार पर हल्लाबोल किया। मराठा समाजा ने राज्य, देश और विदेश में आदर्श उदाहरण के मोर्चे निकाले। अब इस समाज को चर्चा नहीं, आरक्षण पर ठोस निर्णय चाहिए यह मुंडे ने कहा। मराठा आरक्षण के मुद्दे पर सरकारने समय पर प्रतिज्ञापत्र दाखल किया होता तो आज प्रस्ताव पेश करने सरकार को उतावलापण करने की आवश्यकता नहीं थी, यह मुंडे ने कहा। भाषण के दौरान मुंडेंनी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का तीन बार उल्लेख करकर
भाजप सरकार का तंज कसा। मराठा आरक्षण के प्रश्न पर सरकार से ज्यादा न्यायालयीन लढाई विनोद पाटील ने की। तो सरकारने मराठा समाज का मोर्चा दबाने की कोशीश की यह आरोप भी उन्होंने किया।शिवसेना को भी मुंडे ने सुनाया है। शिवसेना ने मराठा आरक्षण मोर्चा का अवमान किया है और उन्हें मराठा आरक्षण पर बोलने का अधिकार नहीं यह उन्होंने शिवसेना को सुनाया। हमे राजकारण नहीं करना है, और यह सत्ताधारी ना करे, आरक्षण के बारे में सरकार प्रामाणिक भुमिका स्पष्ट करे, यह मांग उन्होंने की।
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