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मुंबई : राज्य विधीमंडल का शीतकालीन सत्र ५ डिसेंबर से नागपुर में शुरू हो रहा है। राज्य में हाली में संपन्न हुए नगरपालिका नगरपंचायत चुनाव में
मिली जीत से सत्ताधारी पार्टी काफी खुश है। लेकिन इस सोमवार से शुरू शीतकालीन सत्र भारतीय जनता पार्टी को सरदर्द साबित होनेवाला है। विरोधियों के पास सरकारने लिए हुए निर्णय के खिलाफ आवाज उठाने का बड़ा मौका मिला है। मराठा आरक्षण सहित धनगर आरक्षण, नोटबंदी होने के बाद होनेवाली परेशानी, खामगाव आश्रम स्कुल में हुए सामुहिक बलात्कार का
प्रकरण आदी मुद्दे इस अधिवेशन में गूंजने की आंशका है। अधिवेशन के समय १४ दिसेंबर को मराठा समाज का सबसे बड़ा मोर्चा नागपूर के विधानभवन पर आनेवाला है। यह सबसे बड़ा मोर्चा होने से कानून और सुरक्षा का प्रश्न निर्माण हो सकता है। मराठा समाज को आरक्षण मिले, इसलिए राज्य में कई जिला में लाखों की संख्या से मुक मोर्चा निकलनेवाला है। विधानसभा में
सबसे जादा मराठा विधायक कई पार्टियों में होने के बावजूद उन्हें भी आरक्षण महत्वपूर्ण लग रहा है। इसलिए विरोधक यह मुद्दा लेकर कामकाज रोख
सकते है।  इसके साथ धनगर समाज के आरक्षण का मुद्दा भी विरोधक उठाकर सरकार को घेर सकते है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नागपूर में सबसे ज्यादा अपराध होने से विरोधक गृहमंत्री अर्थात मुख्यमंत्री को घेर सकते है।  नागपुर के भाजपा विधायक कृष्णा खोपडे का लड़का रोहीत खोपडे प्रकरण, बुलडाणा जिला के खामगाव के आदिवासी आश्रम स्कुल में नाबालिक लकड़ी पर हुए सामुहिक बलात्कार प्रकरण, आदी मुद्दे के साथ कानून व्यवस्था के मुद्दे पर विरोधक
सत्ताधारियों को घेर सकते है, इसमे कोई शंका नही है। विविध विभाग में हुए साहित्य के खरेदी के भ्रष्टाचार का मुद्दा विरोधक उठा सकते है।  इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पिछले महिने में ५०० और १००० के
नोट चलन से रद्द करने का निर्णय लेने के बाद नये नोटो की सप्लाई करनेvकेंद्र शासन पूरी ना कर पाने से सामान्य जनता को काफी परेशानी हुई। इससे देशभर में हुए मौत और राज्य सरकार ने स्पष्ट आदेश देकर भी कुछ प्रायवेट हॅास्पिटल ने पुरानी नोट का स्विकार ना करने से हुए मृत्यु और कुछ जगहों पर इस कारण से हुई आत्महत्या का मुद्दा भी विरोधक अच्छी तरह घेर सकते है।

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