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महाराष्ट्र, 26 दिसंबर, 2016: पेटीएम ने आज यह घोषणा की कि उसने इस कैशलेस यात्रा में महाराष्ट्र के सांगली और सतारा जिलों में भोस और कवते गांवों को शामिल किया है। कंपनी ने इनमें से प्रत्येक गांव में काफी संख्या में व्यापारियों को जोड़ा है, जिससे वहां के निवासियों को डिजिटल जीवनशैली अपनाने में मदद मिलेगी।

पेटीएम का डिजिटल गांव उपक्रम पूरे भारत में ग्राहकों को तेज और आसान कैशलेस भुगतान समाधान को एक्सेस करने की सुविधा प्रस्तुत करने के साथ ही व्यापारियों के एक बहुत बड़े वर्ग को पेटीएम से जोड़ने की सुविधा देकर दोहरे लक्ष्य को पूरा करता है।

इस विकास पर बात करते हुए, पेटीएम के वाइस प्रेसिडेंट अमित सिन्हा ने कहा, 'हमने भारत के ग्रामीण क्षेत्रों से उपभोक्ताओं और व्यापारियों की ओर से एक व्यापक दिलचस्पी दर्ज की है।  इस क्षेत्र में हमारी टीम व्यापारियों को पेटीएम का प्रयोग करने के फायदों के बारे में जानकारी देने और डिजिटल भुगतान के बारे में संपूर्ण जागरुकता फैलाने के लिये वर्कशॉप्स आयोजित कर रही है। हमें महाराष्ट्र में स्थानीय व्यापारिक समुदाय और प्रशासन से काफी समर्थन प्राप्त हुआ है और इस प्रकार के ज्यादा उपक्रमों को जिलों में शुरू करने की हमारी योजना है।

पेटीएम ने पूरे भारत में भुगतान लेन-देनों में व्यापक वृद्धि दर्ज की है। इस प्रगति को और तेज करने के लिये, कंपनी ऐप पासवर्ड जैसी कुछ नई सुविधाओं को भी जोड़ा है जो यह सुनिश्चित करता है कि प्रयोक्ता का फोन खो जाने या अनुपयुक्त होने जाने पर भी पेटीएम वॉलेट में संग्रहित पैसे सुरक्षित रहें। कंपनी ने पेटीएम निअरबाई भी लांच किया है, यह एक ऐसा फीचर है जो ग्राहकों को उनके निकटतक पेटीएम व्यापारी तक गाइड करता है। पेटीएम ने एक टोल-फ्री नंबर 1800 1800 1234 भी लांच किया है जो गैर-स्मार्टफोन और गैर-इंटरनेट प्रयोक्ताओं को पेटीएम का प्रयोग करके पैसों का भुगतान करने या प्राप्त करने में मदद करता है।

कंपनी ने डिजिटल भुगतानों को हर किसी के लिये एक्सेसिबल बनाने के लिये अपने ऐप को हिंदी और मराठी सहित 10 क्षेत्रीय भाषाओं में भी लांच किया है। कंपनी ने पैसों को बैंक में स्थानांतरित करने हेतु अपनी 1% लेन-देन शुल्क में भी छूट दे दी है, ताकि कैशलेस होने के व्यवहार की ओर परिवर्तित होने में ग्राहकों और व्यापारियों को सहूलियत हो।

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