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मनपा का बजट वर्ष 2008-09 में 911 करोड़ 2016-17 में बढ़कर 2,567 करोड़ रुपये

मुंबई। प्रजा ने मुंबई मनपा की शिक्षा व्यवस्था पर अपनी वार्षिक रिपोर्ट पेश की है। इस रिपोर्ट में चौंकाने वाली बात यह है कि मनपा शिक्षा का बजट प्रतिवर्ष बढ़ा रही है,परंतु स्कूलों में बच्चे दिनोंदिन कम हो रहे हैं। मराठी माध्यम के स्कूलों की हालत बहुत ही ख़राब है। मिली जानकारी के अनुसार वर्ष 2010-11 में मराठी माध्यम के छात्रों की संख्या 1,16,086 थी, जो वर्ष 2015-16 में घटकर 71,454 रह गई है।

     प्रजा ने आरटीआई का उपयोग करके विभिन्न मानदंडों पर आंकड़े इकठ्ठा किया है। जिसका विश्लेषण करने पर यह पता चला कि वर्ष 2011-2012 में 439,153 बच्चों ने नामांकन कराया था, जो 2015-16 में घटकर 383,485 रह गई है। रिपोर्ट पर चर्चा करते हुए प्रजा फाउंडेशन के संस्थापक निताई मेहता ने कहा कि पिछले वर्ष हमने समय-समय पर आंकड़ों का विश्लेषण किया गया और उस आधार पर पता चला की वर्ष 2015-16 में पहली कक्षा में छात्रों की संख्या 38,329 रह जाएगी। आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार वर्ष 2015-16 में सिर्फ 34,549 बच्चों ने नामांकन कराया, जो बहुत ही ख़राब स्थिति दर्शाता है। और इसी तहर होता रहा तो वर्ष 2019-20 में पहली कक्षा में महज 5,558 छात्रों का नामांकन होने की संभावना है।  
   स्कूलों में वर्ष 2008-09 से लेकर वर्ष 2015-16 तक की अवधि में नामांकन में 68,325 की कमी आई है। उसके बावजूद प्रति छात्र पर 49,835 रुपये खर्च करने की योजना मनपा की है। पिछले 8 वर्षों में मनपा के शिक्षा बजट में तीन गुना बढ़ोतरी हुई है।
   प्रजा योजना के निदेशक मिलिंद महश्के ने बताया कि पिछले साथ वर्षों( 2008-09 से 2015-16 के बीच) में कक्षा 1 के नामांकन में 45 प्रतिशत की गिरावट आई है।औऱ अगर यही स्थिति रही तो अगले 10 वर्षों में मनपा के शिक्षा बजट में केवल शिक्षकों और स्कूलों के लिए राशि का आवंटन दिखाई देगा,परंतु स्कूलों में छात्र नहीँ होंगे।
    मेहता ने कहा कि शिक्षा की वर्तमान स्थिति में सुधार के लिए हमें काफ़ी कुछ कर सकते हैं। स्कूल स्तर पर जवाबदेही में सुधार लाने के लिए हम स्कूल प्रबंधन समितियों को क्षमतावान एवं सशक्त बना सकते हैं। इसके बाद शिक्षकों के प्रशिक्षण मनपा के प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण पर ध्यान दिया जा सकता है, साथ ही शिक्षकों को अनावश्यक प्रशासनिक कार्यों से मुक्त किया जाना चाहिए।

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