महाराष्ट्र के यूनिवर्सिटी में विद्यादान के काम को नजरअंदाज कर सभी यूनिवर्सिटी के वाईस चासंलर यूनिवर्सिटी के बजाय विदेश में अधिक रुचि लेते हैं। बतौर चांसलर राज्यपाल में 28 आवेदनों में से 27 आवेदन को मंजूरी देते हुए सिर्फ एकही मामले में मंजूरी न देने का दावा राज्यपाल के सचिव कार्यालय ने आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को दी हैं। यूनिवर्सिटी को रामभरोसे छोड़कर जो वाईस चांसलर विदेश दौरे में व्यस्त थे उनमें डॉ संजय देशमुख और डॉ गाडे ने बाजी मारी हैं। मुंबई यूनिवर्सिटी के वाईस चांसलर डॉ संजय देशमुख महज 10 महीने में 5 बार विदेश में जाने का रेकॉर्ड बनाया हैं।
आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने राज्य के वाईस चांसलर ने किए विदेशी दौरे की जानकारी मांगने पर अवर सचिव प्र.पां. लुबाल ने आधी अधूरी जानकारी दी। अपील सुनवाई में परिमल सिंह के आदेश के बाद गलगली को सूचित किया गया कि गत 4 वर्षो में वाईस चांसलर के विदेशी दौरे के लिए कुल 28 आवेदन प्राप्त हुए थे उनमें से सावित्रीबाई फुले पुणे यूनिवर्सिटी के वाईस चांसलर डॉ. डब्लू एन गाडे का मास्को(रशिया) का विदेशी दौरा को छोड़ा जाए तो शेष 27 विदेशी दौरे के लिए अनुमति दी गई हैं।
डॉ संजय देशमुख और डॉ गाडे अव्वल
यूनिवर्सिटी की फ़िक्र किए बिना जो वाईस चांसलर विदेशी दौरे पर गए उनमें डॉ संजय देशमुख और डॉ डब्लू एन गाडे ने बाजी मारते हुए दोनों ने 5-5 विदेशी दौरे किए हैं। सिर्फ 10 महीने में मुंबई यूनिवर्सिटी के वाईस चांसलर डॉ संजय देशमुख ने इजरायल, मास्को, चीन, जर्मनी और दक्षिण कोरिया इन देशों की सैर की हैं। सावित्रीबाई फुले पुणे यूनिवर्सिटी के वाईस चांसलर डॉ डब्लू एन गाडे ने भी 5 बार विदेश की सैर करते हुए यूएएस, चीन, जर्मनी व स्वीडन, कॅनडा व यूएसए और लंदन का दौरा किया। डॉ बाबासाहेब आंबेडकर मराठवाडा यूनिवर्सिटी के वाईस चांसलर डॉ बी ए चोपडे ने 4 बार विदेश जाते हुए स्पेन, ढाका, जपान और इजरायल की सैर की। महात्मा फुले कृषि यूनिवर्सिटी के वाईस चांसलर डॉ के पी विश्वनाथ सिर्फ एक ही बार विदेश गए हैं। उन्होंने झांबिया व आफ्रिका इस देश का दौरा किया। जलगाव के नार्थ महाराष्ट्र यूनिवर्सिटी के वाईस चांसलर प्रोफेसर डॉ एस यू मेश्राम 4 बार विदेश गए जिसमें न्यूयॉर्क, जपान, मेक्सिको और फ्लोरिडा का शुमार है। अकोला के डॉ पंजाबराव देशमुख कृषि यूनिवर्सिटी के वाईस चांसलर डॉ आर जी दाणी ने 2 बार जिस देश की सैर की उसमें उबेकिस्तान और रोम का शुमार हैं। कोल्हापूर के शिवाजी यूनिवर्सिटी के वाईस चांसलर प्रोफेसर डॉ डी बी शिंदे ने किए 2 विदेशी दौरे में दक्षिण कोरिया और युके फ्रांस व आयर्लंड का शुमार हैं। सोलापूर यूनिवर्सिटी के वाईस चांसलर प्रोफेसर डॉ एन एन मालदार ने कोरिया तो परभणी के मराठवाडा कृषि यूनिवर्सिटी के वाईस चांसलर डॉ बी वेंकटेश्वरलू ने इजिप्त की सैर की। नासिक के यशवंतराव चव्हाण महाराष्ट्र ओपन यूनिवर्सिटी के वाईस चांसलर डॉ एम एम साळुंखे ने 2 बार ढाका और मलेशिया इन देशों की सैर की।
अवधि बढ़ाना अव्यावहारिक
सावित्रीबाई फुले पुणे यूनिवर्सिटी के वाईस चांसलर डॉ. डब्लू एन गाडेे ने मांगी मास्को(रशिया) दौरे की अनुमति 21 अक्टूबर 2015 को ख़ारिज की गई। वाईस चांसलर को वर्ष में एक ही बार और 5 वर्ष में अधिक से अधिक 20 दिन विदेश दौरे पर जाने की सलाह कुलसचिव और राज्यपाल ने दी थी। गाडे ने साडे तीन वर्ष के अल्प काल में 51 विदेश की सैर की थी। अनिल गलगली के अनुसार विद्यादान की भूमिका के बजाय वाईस चांसलर बनते ही विदेशी दौरे का चलन बढ़ा। जैसे मुंबई यूनिवर्सिटी के वाईस चांसलर डॉ संजय देशमुख ने सिर्फ 10 महीने में 5 बार विदेश जाने का नया विक्रम स्थापित करने से मुंबई यूनिवर्सिटी का कामकाज प्रभावित हो गया हैं। बतौर चांसलर राज्यपाल ने 50 दिनों की वृद्धि अव्यावहारीक होने से उसमें बदलाव कर 20 दिन करने की मांग अनिल गलगली ने की हैं। इसके अलावा महाराष्ट्र के सभी यूनिवर्सिटी के वाईस चांसलर के देशी और विदेशी दौरे की जानकारी वेबसाइट पर अपलोड करने की जरुरत अनिल गलगली ने बताई हैं।
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