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मुंबई को विकसित करने के लिए शिवशाही पुर्नवसन प्रकल्प मर्यादित यानी SPPL के जरिए तेज गति देने का सपना महाराष्ट्र सरकार का हैं लेकिन आपको ताज्जुब होगा आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को प्राप्त उस जानकारी से जिसमें स्पष्ट किया हैं कि शिवशाही पुर्नवसन प्रकल्प मर्यादित कंपनी के पास 56 प्रतिशत स्टाफ के पद भरे ही नहीं गए हैं। 
आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने शिवशाही पुर्नवसन प्रकल्प मर्यादित यानी SPPL से जानने की कोशिश की थी कि उनके कार्यालय में कितने पद होने चाहिए थे और वर्तमान कितने पद रिक्त हैं। यह कंपनी महाराष्ट्र सरकार की हैं जिसका गठन 25 सितंबर 1998 को शिवसेना-भाजपा युति शासनकाल में हुआ था ताकि गरीबों को सस्ते दामों में मुंबई में मकान मिल सके। शिवशाही पुर्नवसन प्रकल्प मर्यादित के जन सूचना अधिकारी और सहायक व्यवस्थापक (प्रशासन) सुगंधा पवार ने अनिल गलगली को बताया कि सभी प्रकार के कुल 73 पद हैं जिनमें से सिर्फ 32 पदों पर नियुक्तियां की गई हैं जबकि 41 पद रिक्त हैं। इनमें सबसे अधिक रिक्त पद उप समाज अधिकारी के हैं। 11 में से सिर्फ 4 ही लोग कार्यरत हैं। स्टेनो के 4 में 4 पद रिक्त हैं। जनरल मैनेजर के 3 में से 2 पद रिक्त हैं। मैनेजर के 4 में से 3 पद रिक्त हैं। शत प्रतिशत पद रिक्त हैं उनमें जॉइंट मैनेजिंग डायरेक्टर, सर्वेवर, सुपरिडेंटेंड, अकाउंटेट, जनसंपर्क अधिकारी, डेप्यूटी चीफ इंजीनियर, असिस्टेंट इंजीनियर, जूनियर इंजीनियर, टेक्निकल असिस्टेंट, आर्किटेक्ट, डीआईएलआर, समाज विकास अधिकारी, सिलेक्शन ग्रेड स्टेनो, झेरोक्स ओपरेटर का शुमार हैं।
अनिल गलगली ने ठेके और डेप्यूटेशन पर कार्यरत अधिकारियों की जानकारी मांगने पर उन्हें बताया गया कि ऐसी जानकारी उनके पास संग्रहित नहीं हैं। जहां पर सरकार इसे गति देकर बिल्डरों को लोन देने के अलावा लॉटरी निकालने का मन बना रही हैं जबकि इनके पास काम करने के लिए पर्याय स्टाफ ही नहीं हैं। अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री और गृह निर्माण मंत्री प्रकाश महेता को पत्र लिखकर मांग की हैं क़ि जो स्टाफ मंजूर किया हैं उसे शत प्रतिशत नियुक्त करने की जिम्मेदारी सरकार की हैं इसलिए सरकार जल्द से जल्द स्टाफ की नियुक्तियां हो। जिसके चलते मुंबई में सस्ते दामों में मकान दिलाने का सपना पुरा हो सके।

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