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लंदन: वैज्ञानिकों ने कहा है कि अंतरिक्ष यात्रियों और रोबोटिक प्रणालियों के सहयोग से चंद्रमा पर गांव बसाने की योजना साल 2030 तक हकीकत बन सकती है।
नीदरलैंड में हुए यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी की संगोष्ठी में वैज्ञानिकों, इंजीनीयरों और उद्योग विशेषज्ञों ने कहा कि 'चंद्र गांव', मंगल और अन्य ग्रहों के भावी मानव अभियानों के लिए एक संभावित प्रेरणा स्रोत बन सकता है।
अमेरिका स्थित नोट्रेडेम विश्वविद्यालय के क्लाइव नील ने कहा कि इस लक्ष्य को हकीकत में तब्दील करने के लिए वैज्ञानिकों को अवश्य ही पहले यह तय करना चाहिए कि क्या चंद्रमा पर संसाधन हमारी सोच के अनुसार महत्व रखते हैं।
उन्होंने कहा कि हम चंद्रमा के संसाधनों के बारे में बात करना जारी रखेंगे, लेकिन हमें अब भी यह दिखाने की जरूरत है कि क्या उनका इस्तेमाल हो सकता है।
नील ने कहा कि इसलिए सबसे पहले वहां उपलब्ध संसाधनों के आकार, संरचना, स्वरूप और एकरूपता को समन्वित रूप से प्रमाणित करने की जरूरत है। अगले कदम के तौर पर इनके खनन की तकनीक और परिशोधन के बाद उत्पाद को उपयोगी वस्तु के रूप में दिखाना होगा।
उन्होंने बताया कि ईएसए बैठक में चंद्रमा पर उतरने और रोबोटिक नमूने लाने आदि के बारे में प्रौद्योगिकी विकसित करने का जिक्र किया गया। उन्होंने कहा कि इसके लिए काफी निवेश करने और पहल करने की जरूरत होगी।

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